
By Jayjeet
नई दिल्ली/पटना/लखनऊ/भोपाल। देश के सैकड़ों नेताओं ने अलग-अलग अदालतों में उस कार कंपनी के खिलाफ केस ठोक दिए हैं, जिसने रंग बदलने वाली कार बनाई है। दर्ज मामलों में दलील दी गई है कि रंग बदलने का अधिकार केवल भारतीय नेताओं को है। इसके लिए वे गिरगिटों के कंसोर्टियम को भारी-भरकम रायल्टी भी चुकाते हैं।
मीडिया में ऐसी खबरें छपने के बाद कि जापान की कार कंपनी Lexus ने रंग बदलने वाली कार ईजाद की है, पेटेंट राइट को लेकर भारत की अदालतों में मामलों की झड़ी लग गई है। लगभग हर राज्य से अनेक नेताओं ने कोर्ट में मामले दायर किए हैं। सबमें एक ही दलील दी गई है कि Lexus कंपनी ने ऐसा करके भारतीय नेताओं और गिरगिटों के बीच 1947 में हुई ‘राइट टु कलर चैंजेस ट्रिटी’ (रंग बदलने का अधिकार संधि) का उल्लंघन किया है। इस संधि के तहत गिरगिटों ने नेताओं को रंग बदलने का गुण ट्रांसफर किया था। इसके बदले में नेता, गिरगिटों को रॉयल्टी के तौर पर हर साल भारी राशि चुकाते हैं। इसके लिए नेताओं को काफी जनसेवा भी करनी पड़ती है।
लखनऊ की अदालत में मामला दायर करने वाले एक स्थानीय नेता शंभुशंकर यादव के वकील ने बताया, “यह इंडियन पेटेंट एक्ट 1970 की धारा 221 और इंटरनेशनल पेटेंट ट्रीटी के सेक्शन 115 दोनों का उल्लंघन है। ये दोनों धाराएं अतिविशिष्ट गुणों को संरक्षित करने का अधिकार देती है। रंग बदलने वाली कार का निर्माण भारतीय नेताओं के इसी अधिकार का अतिक्रमण करना है।” उन्होंने बताया कि वे शीघ्र ही इंडियन पेटेंट ऑफिस में भी एक याचिका दायर करेंगे।
सरकार से दखल देने की मांग, मोदी ने की जापान के प्रधानमंत्री से बात :
इस बीच, भारतीय नेताओं के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस संबंध में दखल देने का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल ने मोदी को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री होने से पहले वे एक नेता हैं और इसलिए उन्हें अपने अतीत को नहीं भूलना चाहिए। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री यह सुनते ही नॉस्टेलजिया में चले गए। उन्हाेंने तत्काल जापान के पीएम शिंजो आबे से बात कर इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करवाई।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और व्यवस्था पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)