
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, भोपाल। पिंटू के पप्पा पिछले 21 दिन से लगातार रामायण देख रहे थे। उन्होंने कहीं से सुन रखा था कि इंद्र के दरबार में सोमरस की नदियां बहती हैं। बचपन में कुछ बतोलेबाजों से उन्होंने ऐसे ही किस्से सुन रखे थे। शायद इसीलिए उन्होंने यह गलतफहमी पाल ली थी कि रामायण में दो-चार बार तो इंद्र दिखाए ही जाएंगे, वह भी सोमरस के साथ। इस लॉकडाउन में वे सोमरस के गिलास के दर्शन करके ही तृप्त हो लेंगे। पर इंद्र जब भी नजर आए, आसमां से फूल बरसाते ही। और आज रामायण सीरियल की समाप्ति के साथ उनकी अंतिम आस अधूरी ही रह गई।
पिंटू के पप्पा की धर्मपत्नी ने नाम न छापने की शर्त पर हमें फोन पर ही इस गंभीर बात का खुलासा किया। पिंटू के पप्पा की पत्नी ने बताया कि पिछली 28 मार्च से सुबह नौ बजते ही पिंटू के पप्पा चाय पीकर खाली कप लेकर बैठ जाते, इस उम्मीद में कि टीवी की स्क्रीन से दो-चार छींटे उनके कप में आ गिरे तो वे धन्य हो जाए। कुछ दिन वे इसी उम्मीद में बैठे रहे। फिर उन्होंने एक कॉम्प्रोमाइस प्रपोजल रखा कि वे छींटों की भी अपेक्षा नहीं करेंगे, बस दर्शन मात्र हो जाए तो उसी से स्वयं को कृतार्थ समझ लेंगे। लेकिन विधाता के आगे किसी की चली है भला। रामानंदजी ने एक सीन ना दिखाया। बेचारे, रामायण खत्म होने के बाद से ही गुमसूम से बैठे हैं। आज बर्तन भी मुझे ही साफ करने पड़े।’
पिंटू के पप्पा की पत्नी ने आगे बताया, ‘अब उन्होंने बची हुई महाभारत नहीं देखने की घोषणा की है। बताओ, आखिर किसके भरोसे देखें। हर उम्मीद जाती रही। इतने दिन में खुद ही कुछ कर्म-वर्म करके गुड़ इत्यादि से होममेड सोमरस में सफलता हासिल कर लेते। पर निरर्थक बैठे रहे। इसका पश्चात्ताप उन्होंने सैनेटाइजर को सुंघकर करने का निश्चय किया है।’
इस संबंध में हमने पिंटू के पप्पा से बात करने की कोशिश की, लेकिन तब तक वे सैनेटाइजर सुंघकर झाडू-पोंछा करने निकल पड़े थे। उनकी पत्नी ने हमें इस महत्वपूर्ण कार्य में बाधा न डालने की चेतावनी देकर हमारा फोन काट दिया।
(Disclaimer : यह केवल काल्पनिक है। इसका मकसद केवल हास्य-व्यंग्य करना है, किसी की मानहानि करना नहीं और न ही किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना।)