
By Jayjeet
हर जगह #Zoom वगैरह पर ऑनलाइन क्लासेस-मीटिंग वगैरह चल रही है। तो उस दिन गब्बर की कालिया और साम्भा से जूम पर ऐसे हुई ऑनलाइन प्लानिंग…
गब्बर : तुम सब जूम पे कनेक्ट हो गए क्या?
कालिया : हां सरकार, हम तो आ गए।
गब्बर : पर साम्बा कहां मर गया?
कालिया : सरदार, वो छत पर है। कह रहा था कि नेटवर्क नहीं आ रहा है। तो वह छत से ही ज्वॉइन करेगा।
गब्बर : हां, वैसे भी उसको तो ऊपर ही टंगने की आदत रही है। रामगढ़ में भी तो पहाड़ी पर बैठकर खैनी फाका करता था। और हां, खैनी से याद आया, बहुत दिन से खैनी ना मिली। ये सरकार दारू की दुकान शुरू कर सकती है तो खैनी की क्यों नहीं, ये तो बहुत नाइंसाफी है। और ये साम्बा का नेटवर्क चालू हुआ कि नहीं?
साम्बा : हां, सरदार, मैं आ गया। कालिया, तू अपना माइक बंद कर, यहां आवाज इको हो रही है।
गब्बर : क्या खबर है? गेहूं के कितने बोरे तुम लोग लूट के लाए?
कालिया : सरदार, वो सोशल डिस्टेंसिंग के कारण गेहूं खरीदी केंद्रों में आज हमको लूटने की परमिशन नहीं मिली। कहा, आज भीड़ ज्यादा है। कल लूटने आना।
गब्बर : मतलब, तुम खाली हाथ आए। क्या सोचकर आए कि सरदार खुश होगा? शाबासी देगा?
कालिया: सरदार तुम खुश तो बहुत होगे, बहुत शाबासी दोगे। हम गेहूं के बोरे ना ला पाए, पर पास के ठेके से एक कैरेट लेकर आ गए हैं।
गब्बर : वाह, बहुत बढ़िया। सरदार खुश हुआ। लाओ, मेरी बोतल।
साम्भा : अरे सरदार, अब जूम से क्या बोतल दें। दारू वाले इमोजी भेज देते हैं। उसी में मस्त हो लेना। कालिया तू भी ऊपर आ जा, आज मौसम अच्छा हो रहा है।
तो उधर गब्बर गालियां दे रहा था और साम्भा व कालिया राष्ट्र के विकास में योगदान…