
इन दिनों मॉर्केट में प्याज की दो अफवाहें चल रही हैं… भरोसे लायक तो ये नहीं हैं, पर की जा सकती है… अब किसने सोची थी महाराष्ट्र में ऐसी सरकार? तो ये भी पढ़ ही लीजिए। सिस्टम में भरोसा बढ़ जाएगा।
पहली कथा (थोड़ी कम विश्वसनीय) :
महाराष्ट्र में सरकार गठन से पहले सभी 162 विधायक मंत्री पद मांग रहे थे। तो सबके सामने दो विकल्प रखे गए : एक, मंत्री पद और दूसरा, अगले छह माह तक पूरे कुनबे को मुफ्त में प्याज की सप्लाई। करीब 140 विधायकों ने दूसरे विकल्प को चुना।
ऐसा विकल्प चुनने वाले एक विधायक से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़ी ही साफगोई से कहा, मंत्री पद का क्या भरोसा? पर प्याज, वह भी मुफ्त, वह भी छह माह तक और वह भी पूरे कुनबे को। इससे अच्छा ऑफर क्या होगा? वह फुसफुसाकर यह भी बोला, ‘थोड़ा प्याज बचाकर उसे खुले मार्केट में बेच भी देंगे। दो पैसे हाथ में होंगे तो अगला चुनाव लड़ने में दिक्कत नहीं होगी।’
दूसरी कथा (थोड़ी अधिक विश्वसनीय) :
जिस फाइव स्टार रिजॉर्ट में ये विधायक ठहरे हुए थे, उस रिजॉर्ट के एक मैनेजर ने मय सबूत शिकायत की है। उसकी शिकायत है कि उनके यहां ठहरे दो विधायकों ने रात के अंधेरे में रिजॉर्ट के किचन से प्याज चुराने की कोशिश की। उसने सबूत के तौर पर इसका सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया।
हालांकि बाद में इन दोनों विधायकों ने अपनी सफाई में कहा कि हम तो केवल यह देखने गए थे कि प्याज सुरक्षित हैं या नहीं? हमें कोई उठा ले जाएं तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन प्याज का सुरक्षित रहना लोकतंत्र के लिए ज्यादा जरूरी है।
(By Jayjeet)