
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। एक रोचक, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम में यहां के एक सीनियर मोस्ट लीडर यही भूल गए कि वे इस वक्त किस पार्टी में हैं। यह जानने के लिए उन्होंने अपने कम से कम 50 कट्टर समर्थकों को फोन भी किए। लेकिन उससे उनका कंफ्यूजन और भी बढ़ गया क्योंकि फोन पर मिले जवाब के अनुसार वे 7 अलग-अलग पार्टियों में पाए गए।
नेताजी झन्नाटा सिंह आज सुबह 10 बजकर 32 मिनट पर उस समय कंफ्यूज हो गए, जब इस संवाददाता ने उनसे पूछ लिया कि इस समय आप किस पार्टी के लीडरी की चरणवंदना में व्यस्त हैं? दरअसल, कंफ्यूजन इसलिए पैदा हुआ क्योंकि वे विगत तीन दिनों में 11 बार पार्टियां बदल चुके थे। इससे वे बौरा गए और उन्हें समझ ही नहीं आया कि आखिर वे क्या बताएं? उन्होंने इस संवाददाता से कहा, “हमारा तो ऐसा है कि हम जिस भी पार्टी में रहते हैं, वहां के एक अनुशासित सिपाही की तरह कार्य करते हैं। उसके नेता ही हमारे माई-बाप होते हैं। इसलिए हमारा यह जानना बेहद जरूरी है कि हम किस पार्टी में हैं, ताकि पार्टी अध्यक्ष के कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें।” उन्होंने आगे जोड़ा, “पर ससुरा अभी ये याद ही नहीं आ रहा कि इस वक्त हम कहां हैं… देश में भी इत्ती पार्टियां हो गई हैं कि स्साला उन्हें याद करना भी जियो के नंबर याद करना जित्ता मुश्किल हो गया है।”
इसके बाद उन्होंने अपने 50 कट्टर कार्यकर्ताओं से पूछने का निश्चय किया। ये वे कार्यकर्ता थे जो दलबदल में हमेशा उनके साथ रहे हैं। लेकिन इस बार वे भी चकरा गए क्योंकि एक सच्चे कार्यकर्ता के नाते वे नेताजी के साथ यह जाने बगैर ही निकल पड़ते कि वे किस पार्टी में जा रहे हैं। एक कार्यकर्ता के साथ बातचीत करते हुए नेताजी के मोबाइल का स्पीकर ऑन रह गया। कार्यकर्ता कुछ-कुछ याद करने की कोशिश कर रहा था, ‘नेताजी, कल मैं सुबह जिस समय आपके साथ था तो उस वक्त आप बीजेपी ज्वॉइन कर रहे थे। फिर मुझे सूसू आ गई तो मैं सुलभ शौचालय चला गया। मुझे वहां थोड़ी देर हो गई। लौटा तो उस वक्त आप राहुल भैया की तारीफ कर रहे थे। मैं समझ गया कि नेताजी ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। इत्ते में मेरे भाई का फोन आ गया। मैं भाई को बता ही रहा था कि मैंने भी नेताजी के साथ कांग्रेस ज्वॉइन कर ली कि इत्ते में आप मायावती बहन जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। मैंने भाई से कहा- रुक जरा, कांग्रेस नहीं, मैं हत्थी वाली पार्टी में हूं। बस इत्ता ही याद है नेताजी। इसके बाद तो 24 घंटे और बीत गए हैं। मैं भी चकरा रहा हूं। आप रमेश से क्यों नहीं पूछते? वह आपका बड़ा खास बना फिरता है।’
इसके बाद नेताजी ने रमेश सहित कई कार्यकर्ताओं को फोन लगाए। समाचार लिखे जाने तक नेताजी वहीं चौक पर ही अपनी स्थिति के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिशों में लगे हुए थे।
(Disclaimer : यह खबर कपोल कल्पित है। इसका मकसद मौजूदा भारतीय राजनीति पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)