
By A. Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, भोपाल। मप्र में आने वाले मानसून में बरसाती पानी को बचाने के लिए इनोवेटिव पहल की जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार राजधानी सहित पूरे राज्य की सड़कों का इस्तेमाल करेगी।
क्या है मास्टर प्लान?
मप्र की राजधानी भोपाल सहित कई शहरों में इन दिनों जर्जर और गड्ढे वाली सड़कें नजर आ रही हैं। इसका दिग्गविजय सिंह की राजनीति में वापसी की घोषणा से कोई संबंध नहीं है। एक सरकारी सूत्र के अनुसार, यह सबकुछ जनहित में प्लानिंग के तहत किया जा रहा है। सड़कों पर जो गड्ढे दिखाई रहे हैं, वह अगली बारिश में पानी को बचाने और भूजल स्तर को बढ़ाने की कोशिश का एक हिस्सा है।
ठेकेदारों और इंजीनियरों को दिए निर्देश :
इन दिनों जगह-जगह कांक्रीटीकरण के कारण बारिश के पानी को जमीन के भीतर जाने की जगह नहीं मिल रही। ऐसे में सड़कें ही बचती हैं जहां से पानी को जमीन के भीतर उतारा जा सकता है। सूत्र के अनुसार राज्य में ठेकेदारों और इंजीनियरों को पहले से ही ऐसी सड़कें बनाने के निर्देश हैं जो आसानी से जर्जर होकर पानी को अपने भीतर जगह दे सकें। इसीलिए राज्य में बड़े पैमाने पर प्रो-जल-संरक्षण सड़कें बनाई जा रही हैं। सरकार तो ऐसे ठेकेदारों और इंजीनियरों को जल-संरक्षण अवार्ड भी देने जा रही हैं जो स्वेच्छा इस कार्य में लगे हैं।
मुख्यमंत्री चिंतित, जहां सड़कें नहीं हैं, वहां क्या होगा?
इस संबंध में हाल ही में एक उच्च स्तरीय मीटिंग भी हुई थी। इसमें मुख्यमंत्री ने चिंता जताई थी कि जहां सड़कें नहीं हैं, वहां पानी का प्रबंधन और जल-संरक्षण कैसे किया जाएगा। क्योंकि जब सड़क ही नहीं होगी तो गड्ढे कहां से आएंगे? मुख्यमंत्री के इस सवाल पर सड़कों के निर्माण से जुड़े एक युवा अफसर ने आश्वस्त किया कि उनका महकमा अगले तीन दिन के भीतर उन तमाम इलाकों में सड़कों का निर्माण करवा देगा। बस उसके लिए तत्काल प्रभाव से 500 करोड़ रुपए की दरकार होगी।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी जनहितैषी योजनाओं में पैसों की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने प्रदेश से गुजरने वाले हाईवेज पर भी बड़े-बड़े गड्ढों की जरूरत पर जोर दिया ताकि उनमें भी पानी जमा कर उसका इस्तेमाल सड़क किनारे स्थित खेतों की सिंचाई में किया जा सके।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)