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हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर सिलेबस में जुड़ेगा नया अध्याय – राजनीति का...
(A new chapter will be added in syllabus on the lines of Bhaktikal of Hindi - Bhaktikal of politics)
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली।...
Satire : मोदी बम से लेकर सिद्धू रॉकेट तक, बाज़ार में ऐसे हैं नेता...
By Jayjeet
अब मार्केट में देवी-देवताओं के नाम वाले बम और पटाखे तो नहीं हैं, लेकिन नेताओं के नाम वाले पटाखों की भरमार हैं। सुप्रीम...
satire : ख़बरदार, डरना सख़्त मना है!
ए. जयजीत
अगर देश के गृह मंत्री बोल रहे हैं कि अब किसी को डरने की जरूरत नहीं है तो फिर वाकई डरने की जरूरत...
Satire : रात के अंधेरे में दो रावणों की मुलाकात!
ए. जयजीत
जैसे-जैसे विजयादशमी नज़दीक आती है, बड़े रावण की छोटे वाले से कोफ़्त बढ़ती जाती है। विजयादशमी के दिन तो वह फूटी आंख नहीं...
Satire : मसख़रे ना होते तो भारतीय राजनीति का क्या होता?
By जयजीत
हम मसख़रों पर हंस सकते हैं, लेकिन उनकी अवहेलना नहीं कर सकते। क्योंकि इसका मतलब होगा देश की पूरी राजनीति और लोकतंत्र को...
आजम खान की उसी भैंस का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू जो मंत्री पुत्र की तरह ‘मिसिंग’...
By Jayjeet
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के पुत्र के मिसिंग होने की खबर क्या आई, उसमें वैल्यू एडिशन करने के चक्कर में रिपोर्टर पहुंच गया...
Satire : ग्राउंडवॉटर रिचार्ज करेंगी मप्र की ये सड़कें
By Jayjeet
मेरे शहर में दो सड़कें हैं। वैसे तो कई सड़कें हैं, लेकिन आज हम इन दो सड़कों की बात ही करेंगे। एक ख़ास...
पुलिस ने कानून के लंबे हाथ तो ठाकुर को लौटा दिए…!
by Jayjeet
बीते दिनों मप्र के एक शहर में 800 से भी अधिक पुलिसकर्मियों ने मार्चपास्ट किया। मकसद अपराधियों में ख़ौफ़ पैदा करना था।...
Thousand Feet Above : क्या गजब का नॉवेल लिखा है इस बालिका ने, फैंटेसी...
By Ratnesh
देश में एक असल फिक्शन राइटर का पदार्पण हो चुका है जिसमें असीम संभावनाएं नजर आ रही हैं। यह फिक्शन राइटर हैं महज...
काबुलीवाला के सवाल पर UN ने कहा – हमें भी बहुत चिंता है… आपके...
ए. जयजीत
काबुलीवाला ... हां, वही काबुलीवाला। याद ही होगा सबको। गुरुदेव रवींद्रनाथ की कहानी का पात्र। पांच साल की बच्ची मिनी का अधेड़ दोस्त।...
Satire : एक डंडे के फासले से मिलता है सिस्टम
By Jayjeet
और उस दिन तंत्र की जन से मुलाकात हो गई। पाठकों को लग सकता है कि भाई तंत्र और जन दोनों की मुलाकात...
Satire : और अचानक सत्य से हो गई मुलाकात!
(आज अगर अचानक हमारी सत्य नामक जीव से मुलाकात हो जाए तो वह हमें दूर ग्रह का एलियन टाइप ही दिखेगा... सोचिए उस रिपोर्टर...
Satire : संसद ने अपने प्रांगण में लगी बापू की प्रतिमा से क्या कहा?
By ए. जयजीत
अरसा हो गया। इतने वर्षों से बापू को एक ही पोजिशन में बैठे हुए देखते-देखते। झुके हुए से कंधे। बंद आंखें। भावविहीन...
चंदन चाचा के बाड़े में … नागपंचमी पर कविता
नागपंचमी (Nag panchami) से संबंधित कविता चंदन चाचा के बाड़े में ...( chandan chacha ke bade me)। इसे मप्र के जबलपुर के कवि नर्मदा प्रसाद...
राज कुंद्रा मामले से फुर्सत मिलते ही रिपोर्टर ने कर ली बादल के टुकड़े...
By Jayjeet
जैसे ही पानी से भरा बादल का टुकड़ा छत के ऊपर से गुजरा, रिपोर्टर ने हाथ के इशारे से उसे रोक लिया।
बादल :...
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विराट कोहली की जाति क्या है? गूगल से सबसे ज्यादा यही पूछा जाता है
गूगल पर विराट कोहली के बारे में की जाने वाली सर्चिंग में यह भी खूब पूछा जाता है कि विराट कोहली की जाति क्या है?
गूगल ने ही इसका जवाब दिया है -
विराट कोहली मूलत: खत्री जाति से हैं। खत्री मूल रूप से पंजाब से आते हैं। तो विराट कोहली हुए पंजाबी खत्री।
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Video : राहुल का फनी इंटरव्यू … ऐसा इंटरव्यू आज तक नहीं देखा होगा
जब 24 अकबर रोड पर एक खंडहर में भटकती मिली बूढ़ी कांग्रेस! पढ़ें यह खास इंटरव्यू …
कोई फर्क नहीं पड़ता (सुरेंद्र शर्मा)
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा रावण हो या राम,
जनता तो बेचारी सीता है
रावण राजा हुआ
तो वनवास से चोरी चली जाएगी
और राम राजा हुआ
तो अग्नि परीक्षा के बाद
फिर वनवास में भेज दी जाएगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा कौरव हो या पांडव,
जनता तो बेचारी द्रौपदी है
कौरव राजा हुए
तो चीर हरण के काम आएगी
और पांडव राजा हुए
तो जुए में हार दी जाएगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा हिन्दू हो या मुसमान,
जनता तो बेचारी लाश है,
हिन्दू राजा हुआ
तो जला दी जाएगी
और मुसलमान राजा हुआ
तो दफना दी जाएगी।
-
सुरेंद्र शर्मा, हास्य-व्यंग्य कवि
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सुरेंद्र शर्मा की चार लाइना…
'पत्नी जी!
मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है
तू सैकड़ा में एक है।'
वा बोली-
'बेवकूफ मन्ना बणाओ
बाकी निन्याणबैं कूण-सी हैं
या बताओ।'
- सुरेंद्र शर्मा, हास्य कवि
राम बनने की प्रेरणा (सुरेंद्र शर्मा)
- सुरेंद्र शर्मा
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पति-पत्नी नोक-झोंक
काका हाथरसी के रंगरसिया दोहे
फागुन को लगने लगे, वैसाखी के पाँव
इसीलिए पहुँचा नहीं, अब तक अपने गाँव।
क्या वसंत का आगमन, क्या उल्लू का फाग
अपनी किस्मत में लिखा, रात-रातभर जाग।
जरा संभल कर दोस्तो, मलना मुझे अबीर
कई लोगों का माल है, मेरा एक शरीर।
देख नहाए रूप को, पानी हुआ गुलाल
रक्त मनुज का फेंक कर, उसमें विष मत डाल।
उस लड़की को देखकर, उग आई वो डाल
जिस पर कि मसले गए, एक कैरी के गाल।
- काका हाथरसी, हास्य कवि