
By Jayjeet
हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के बागी विधायकों की तरह ही अब बीहड़ों के पूर्व बागी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने पार्टियों से बगावत करने वाले नेताओं के लिए ‘बागी’ शब्द का उपयोग किए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि नेताओं के लिए इस शब्द का इस्तेमाल ‘बागीपने’ की पवित्रता के साथ खिलवाड़ करने के समान है और यह हम असली बागियों का अपमान भी है।
असली पूर्व बागियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में इस बात पर अचरज जताया गया कि लोकतंत्र की इज्जत लूटने वाले बागी कैसे हो गए? याचिका में कहा गया, ‘हम बागियों के कुछ सिद्धांत हुआ करते थे। हम हमेशा अपने गुट और सरदार के प्रति वफादार रहते थे। गरीबों को नहीं लूटते थे। किसी की इज्जत-आबरू के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करते थे। लेकिन जिन नेताओं को बागी कहा जा रहा है, उनमें ऐसा एक भी सिद्धांत नहीं है। लोकतंत्र की खुलेआम इज्जत लूटकर भी बेशर्मी से रिजॉर्ट्स में ऐश कर रहे हैं। यह बागीपना नहीं, बल्कि कमीनापना है। ऐसे विधायकों को बागी विधायक के बजाय कमीने विधायक कहा जाए तो बेहतर रहेगा। या माननीय सुप्रीम कोर्ट की नजर में कमीने से भी कोई गिरा हुआ शब्द हो तो वह भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन कृपया बागी जैसे पवित्र शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति किसी को न दें।’
सुप्रीम कोर्ट तथाकथित बागी विधायकों की याचिका के साथ ही चंबल के असली बागियों की इस याचिका पर एक-साथ सुनवाई करेगा।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल राजनीतिक कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)