
By Jayjeet
हिंदुस्तान की सरजमीं पर उतरे इब्नबतूता की आत्मा को अब एक महीने से भी अधिक का समय हो चुका था। मोरक्कन स्टाइल की ड्रेस विदा हो चुकी थी और आम आदमी की वेशभूषा लद चुकी थी। उसे नकाब की भी अब कोई जरूरत नहीं थी। पर विगत कुछ दिनों से उसे सड़कों पर नकाब पहने लोग ज्यादा ही नजर आ रहे थे। पूछने पर पता चला कि ये सभी लोग किसी वायरस के डर से ऐसा कर रहे हैं, जो पड़ोसी देश चीन से आया है। पहले तो उसे समझ में नहीं आया कि वायरस आखिर बला क्या है। पर जैसे कि हम बता चुके हैं कि आत्माएं ओवर इंटेलीजेंट होती हैं। तो अपने दिमाग को थोड़ा झटका दिया, कुछ गुणा-भाग किया तो वायरस का सारा माजरा समझ में आ गया। उसे समझ में आया कि वायरस का कैरेक्टर कुछ-कुछ वैसा ही होता है, जैसा कि सियासतदानों का होता है। हालांकि अब आत्मा को कौन समझाएं कि वायरस का तो कैरेक्टर भी होता है, पर इन नेताओं का कहां!
पर कई लोग इस वायरस को लेकर निश्चिंत भी थे। पूछा तो टका सा जवाब मिला, भाईजान इससे क्या डरना? यह तो मेड इन चाइना है। दो-चार दिन चलेगा, फिर बत्ती गुल। आत्मा ने चौराहे पर समोसे खाते एक एक अन्य बंदे से पूछा, तुम्हें डर नहीं लगता है इस वायरस नामक जंतु से? जवाब मिला, जिस देश में सड़े हुए तेल में समोसे, धूल भरी रोड के किनारे मिलने वाले कटे फल, ना जाने किस जन्म में धुले बर्तन में रखी इमली की चटनी, हाथ डुबोकर परोसी गई पानी पुरी जैसी तमाम चीजों को पचाने की कैपेसिटी हो, वहां भला इस अदने से वायरस की क्या औकात? और आप भी दो-चार समोसे सूत लो, इम्युनिटी इतनी बढ़ जाएगी कि यह कोरोनावायरस आपके आसपास फटकेगा भी नहीं।
आत्मा ने घूरकर समोसे की ओर देखा, समोसे ने घमंड के साथ आत्मा की ओर। फिर दोनों ने एक तीसरे की ओर, जो अपने स्मार्टफोन पर टीवी चैनल की बहस को सुन रहा था- वही चीखते एंकर, कुलबुलाते पैनलिस्ट…। आत्मा के सामने इम्युनिटी बढ़ाने का एक और तरीका उपस्थित था। पर उसने अपनी इम्युनिटी बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली, क्योंकि आत्माएं इंफेक्शन प्रूफ होती हैं। तो वह उस इम्युनिटीवर्द्धक समोसे और टीवी बहस को छोड़कर चौराहे से आगे बढ़ गई।
आत्मा अब एक पॉश इलाके में थी। शायद वहां सरकारी अफसरों के बंगले-वंगले थे। कुछ नेताओं के भी आलीशाल बंगले भी थे। कुछ देर बाद आत्मा के सामने वह वाकया आया, जिसे जानकर उसकी आत्मा तक सिहर उठी। उसने इसे लेकर अपने ट्रैवलाग में जो लिखा, वह आप भी पढ़िए- “एक सरकारी इलाके में रहने वाले एक चौपाये में इंसानी वायरस पाए गए। यह जानवर एक अफसर के घर में पल रहा था। माना जा रहा है कि इस अफसर का किसी नेता के घर में आना-जाना था। इसी वजह से यह जानवर भी खतरनाक इंसानी वायरस से संक्रमित हो गया। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब वह जानवर दूसरे जानवर से करोड़ों रुपए के ठेके, दलाली, घोटालों जैसी बात कर रहा था। वह किसी को निपटाने और चुनाव लड़ने की भी बात कर रहा था। और भी ऐसी कई बातें थीं जिनका यहां उल्लेख भी नहीं किया जा सकता।”
इब्नबतूता की आत्मा ने अपने इस ट्रैवलाग के अंत में लिखा – “जानवरों से इंसानों में वायरस का आना इंसानी फितरत का नतीजा है, पर इंसानों से जानवरों में वायरस का आना इस बात के संकेत हैं कि अब कयामत ज्यादा दूर नहीं है। दुनिया को खत्म करने के लिए क्या इंसान काफी नहीं थे? तो फिर अल्लाह तआला ने इंसान संक्रमित जानवर क्यों भेज दिए?”
(क्रमश : )
(जयजीत ख़बरी व्यंग्यकार और ब्लॉग ‘हिंदी सटायर डॉट कॉम’ के संचालक हैं। )