
चुके नहीं इतना उधार है
महंगाई की अलग मार है
तुम पर बैठे हैं गणेश जी
हम पर तो कर्जा सवार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
भक्त जनों की भीड़ लगी है
खाने की क्या तुम्हें कमी है
कोई देवे लड्डू, पेड़े
भेंट करे कोई अनार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
परेशान जो मुझको करती
पत्नी केवल तुमसे डरती
तुम्हें देखकर हे चूहे जी
चढ़ जाता उसको बुखार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
आफिस-वर्क एकदम निल है
फिर भी ओवरटाइम बिल है
बिल में घुसकर पोल खोल दो
सोमवार भी रविवार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
कुर्सी है नेता का वाहन
जिस पर बैठ करे वह शासन
वहां भीड़ है तुमसे ज्यादा
कह कुर्सी का चमत्कार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
राजनीति ने जाल बिछाए
मानव उसमें फंसता जाए
मानवता तो नष्ट हो रही
पशुता में आया निखार है
चूहे तुमको नमस्कार है।
– जैमिनी हरियाणवी, हास्य कवि
(Courtesy : rachanakar.org)