
हे प्याज
काश तू इतना महंगा न होता
तो तूझे काटकर ही हम इंसान
अपनी पथराई आंखों से
दो बूंद आंसू टपका लेते…
पर प्याज तो मुंहफट निकला
बोला, वाह रे इंसान
तू स्साला इंसान का इंसान रहेगा
आंसू तूझे टपकाने हैं, लेकिन मुझे काटकर
अबे, तेरी अंतरात्मा है कि नहीं
उसकी ही जरा चुकौटी काट लें
आंसू का एक-आध कतरा तो टपक ही पड़ेगा..
पर इंसान तो स्साला इंसान ठहरा …
बोला, है परमज्ञानी प्याज,
तू अंतरात्मा की बात करता है,
पर भाई, अंतरामा तो हम कब की बेच चुके
इसीलिए तो बे तेरी शरण में आए हैं…
अब तू ही कल्याण कर !