
भोपाल/लखनऊ/मुंबई/दिल्ली/अहमदाबाद। गर्मियाें की छुटि्टयों में बच्चों को दिया जाने वाला होमवर्क पैरेंट्स के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक देश के कोने-कोने में बच्चाें को मिले होमवर्क से पैरेंट्स में अफरा-तफरी का माहौल हैं। कई पैरेंट्स डिप्रेशन में चले गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हर साल की तरह इस बार भी प्राइवेट स्कूलों ने समर होमवर्क में कोई कटौती नहीं की है। कुछ स्कूलों ने इस आधार पर होमवर्क के तहत प्रोजेक्ट्स बढ़ा दिए हैं कि इससे पैरेंट्स की क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलेगा। एक स्कूल के प्राचार्य ने इस बारे में कहा, “हम चाहते हैं कि पैरेंट्स क्रिएटिव बनें। जब वे क्रिएटिव बनेंगे तभी तो ज्यादा कमा पाएंगे और हमारी स्कूल की भारी-भरकम फीस चुका पाएंगे।”
देश की एक अन्य जानी-मानी स्कूल की प्राचार्य ने कहा, “वाह भला, अगर हम होमवर्क कम देंगे तो दूसरी स्कूलों से पिछड़ नहीं जाएंगे! हमारी तो अगले साल से बच्चों को होमवर्क के तहत शार्टटर्म Phd करवाने की भी प्लानिंग है। ऐसा करने वाले हम देश के पहले स्कूल बन जाएंगे।”
90 फीसदी पैरेंट्स डिप्रेशन में : स्टडी
इस बीच, दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा देशभर के 22 हजार पैरेंट्स पर करवाई गई एक स्टडी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस स्टडी से पता चलता है कि स्कूल गर्मियों की छुटि्टयों में बच्चाें को जो होमवर्क देते हैं, उन्हें बच्चे अकेले तो कर ही नहीं सकते। अंतत: चार्ट से लेकर प्रोजेक्ट बनाने तक का काम पैरेंट्स को करना पड़ता है। इसी वजह से 90 फीसदी पैरेंट्स होमवर्क मिलने के बाद से ही एक माह के लिए डिप्रेशन में चले जाते हैं।
(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल एजुकेशन सिस्टम पर कटाक्ष करना है।)